केंद्र सरकार द्वारा 8वें वेतन आयोग के गठन की खबर से केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों में उत्साह है। नए वेतन आयोग के जरिए पेंशन में बढ़ोतरी की संभावना है, जिसमें 2.86 के फिटमेंट फैक्टर को आधार बनाया जा सकता है। इससे रिटायर्ड कर्मचारियों की मासिक पेंशन में बड़ा इजाफा हो सकता है।
यदि यह फैसला लागू होता है, तो न केवल कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, बल्कि रिटायरमेंट के बाद का जीवन भी बेहतर होगा। नई पेंशन दरें महंगाई और बढ़ते खर्चों को संतुलित करने में मदद करेंगी, जिससे लाखों पेंशनभोगियों को राहत मिलेगी।
जानिए कितना है न्यूनतम मूल पेंशन
सातवें वेतन आयोग ने 2.57 फिटमेंट फैक्टर के आधार पर केंद्र सरकार के पेंशनभोगियों की न्यूनतम मासिक पेंशन ₹9,000 तय की थी, जबकि अधिकतम पेंशन ₹1,25,000 है। अब 8वें वेतन आयोग के आने की संभावना है, जो 2.86 फिटमेंट फैक्टर को अपनाते हुए पेंशन में बड़ा बदलाव कर सकता है।अगर यह सिफारिश लागू होती है, तो न्यूनतम पेंशन में 186% की बढ़ोतरी हो सकती है।
इस वृद्धि के बाद न्यूनतम पेंशन ₹9,000 से बढ़कर लगभग ₹25,740 हो सकती है। वहीं, अधिकतम पेंशन ₹1,25,000 से बढ़कर ₹3,57,500 हो सकती है। यह बदलाव पेंशनभोगियों की आर्थिक स्थिरता को और मजबूत करेगा और महंगाई से निपटने में मददगार साबित होगा।
क्या महंगाई राहत है 53% जानिए
महंगाई राहत (डीआर) पेंशनभोगियों के लिए एक महत्वपूर्ण सुविधा है, जो उनके मासिक पेंशन में बढ़ोतरी करती है। वर्तमान में महंगाई राहत मूल पेंशन का 53% निर्धारित की गई है, जिससे पेंशनभोगियों को महंगाई के प्रभाव से राहत मिलती है।
आमतौर पर, महंगाई राहत को हर साल दो बार संशोधित किया जाता है, जिससे पेंशन में समय-समय पर वृद्धि होती रहती है। इसका मतलब है कि पेंशनभोगियों को हर साल महंगाई के हिसाब से अपनी पेंशन में बढ़ोतरी मिलती है।
क्या 2026 में लागू होंगी ये सिफारिशें जानिए
2025 में आठवें वेतन आयोग के गठन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि सातवें वेतन आयोग का कार्यकाल समाप्त होने से पहले नई सिफारिशें प्राप्त की जा सकें और उनका सही ढंग से मूल्यांकन किया जा सके। सातवें वेतन आयोग का कार्यकाल 1 जनवरी 2026 को खत्म हो जाएगा।
सातवें वेतन आयोग के तहत 2016-17 वित्त वर्ष में सरकार के खर्च में एक लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई थी। वेतन आयोग न केवल कर्मचारियों के वेतन में सुधार करता है, बल्कि महंगाई राहत (डीआर) जैसे फार्मूलों की भी सिफारिश करता है। इसके अलावा, राज्य सरकारें भी केंद्रीय वेतन आयोग की तर्ज पर अपने कर्मचारियों के वेतन में संशोधन करती हैं।